Wednesday, 4 September 2013

Raag Multani

राग मुल्तानी
राग परिचय:
थाठ: तोड़ी
वादी : प
संवादी : सा
जाति: औडव-संपूर्ण
आरोह में रे और ध वर्जित स्वर हैं
गायन समय : दिन
का चौथा प्रहर
स्वर:- कोमल रे, कोमल ग, तीव्र
म का प्रयोग, बाकी सब स्वर
शुद्ध
आरोह: ऩि सा म॑~ग॒ म॑~प, नि सां
अवरोह : सां नि ध॒ प, म॑ ग॒ म॑ ग॒,
रे॒
पकड़: ऩि सा म॑~ग॒ ऽ म॑ प, म॑ ग॒
म॑ ऽ ग॒ रे॒ सा।
कुछ विशेषतायें-
तोड़ी थाठ से होते हुये भी ये राग
तोड़ी की प्रकृति का तो है
मगर तोड़ी से बहुत भिन्न है।
इसे गाते बजाते वक्त कुछ
विशेष बातों का ध्यान
रखना ज़रूरी है।
१) बहुधा इस राग में आलाप तान
मन्द्र निषाद से प्रारम्भ करते
हैं। ऩि सा ग॒~म॑ प...
२) कोमल ग का प्रयोग तीव्र
म के साथ मीड़ में होता है और ये
इस राग की खा़स बात है।
इसी तरह, कोमल रे को गाते
समय कोमल ग का कण
लगता है। इस तरह से कोमल रे
और कोमल ग अपने स्थान ने थोड़े
चढ़े हुये होते हैं। तीव्र म भी प
के करीब है।
३) इस राग में शुद्ध रे और शुद्द
ध लगा देने से राग मधुवंती बन
जाता है। कुछ आलाप
१) , ऩि सा ग॒ रे॒ , (सा) ऩि सा म॑
ग॒ ऽ म॑ प, म॑ ग॒ म॑ ग॒ रे॒ सा,
ऩि सा ग॒ रे॒ सा।
२) ~ग॒ ऽ म॑ प, (प) म॑ ग॒ म॑ प,
ऩि सा ग॒ म॑ प, सा प ऽ प, म॑ प ग॒ ऽ
म॑ प ऽ ऽ प, (प) म॑ ग॒ म॑ ग॒ रे॒ सा।
३) म॑ प ऩि ऽ नि सां, सां प
नि सां गं॒ रें॒ सां, नि सां मं॑ गं॒ रें॒
, गं॒ सां, नि सां नि ध॒ प, प~ ग॒ ऽ
म॑ प नि ध॒ प, ध॒ प म॑ प ग॒ ऽ
ऩि सा म॑~ ग॒ प~म॑ ध॒~प म॑ ग॒ रे॒
सा, ऩि सा ग॒ रे॒ सा।

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